Sunday, July 11, 2021

घोरसंकटनिवारण स्तोत्रम्

 

घोरसंकटनिवारण स्तोत्रम् 



 

श्रीपादश्रीवल्लभ त्वं सदैव

श्रीदत्तास्मानपाहि देवाधिदेव ।।।

भावग्राह्य क्लेशहारिन्सुकीर्ते

    घोरात्कष्टादुध्दरास्मानमस्ते   ।।1।।


त्वं नो माता त्वं पिताऽऽप्ताऽधिपस्त्वं

 त्राता योगक्षेमकृत्सद्गुरुस्त्वम् ।।

 त्वं सर्वस्वं नोऽप्रभो विश्वमूर्ते

 घोरात्कष्टादुध्दरास्मानमस्ते  ।।2।।


पापं तापं व्याधिमाधिं दैन्यं

 भीति क्लेशं त्वं हराऽशु त्वदन्यम् ।।

 त्रातारं नो वीक्ष ईशास्तजूते

घोरात्कष्टादुध्दरास्मानमस्ते   ।।3।। 


नान्यस्त्राता नापि दाता भर्ता |

त्वत्तो देवं त्वं शरण्योऽकहर्ता ।।

 कुर्वातत्रेयानुग्रहं पूर्णराते,

घोरात्कष्टादुध्दरास्मानमस्ते ।।4।।


धर्मे प्रीतिं सन्मतिं देवभक्तीम्

सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं मुक्तिं ।।

भावासक्तिं चााखिलानन्दमुर्ते

घोरात्कष्टादुध्दरास्मानमस्ते ।।5।।


।। श्लोक पंचकमे तद्यो लोकमंगलवर्धनम् ।।

 प्रपठे नियतो भक्त्या श्रीदत्तप्रियो भवेत ।।६।।





। भगवान श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।